2023 में आई यूएन की एक रिपोर्ट में कहा गया कि तालिबान ने ज़ब्त अमेरिकी हथियारों का 20 प्रतिशत हिस्सा स्थानीय कमांडरों को दे दिया था. ये कमांडर अपने अपने इलाकों में आज़ाद हैं. यही वजह है कि हथियारों की कालाबाज़ारी हो रही है.
संयुक्त राष्ट्र ने कहा, “स्थानीय कमांडरों और लड़ाकों के बीच सत्ता को मज़बूत करने के लिए बड़े पैमाने पर हथियारों को उपहार में दिया जा रहा है. यही इन हथियारों के लिए एक बड़ा स्रोत बना हुआ है.”
कंधार में एक पूर्व पत्रकार ने बीबीसी को बताया कि तालिबान के कब्ज़े के बाद एक साल तक हथियारों का खुला बाज़ार लगता था लेकिन अब यह व्हाट्सएप के ज़रिए किया जा रहा है.
स्थानीय कमांडर और अमीर मिलकर नए और पुराने अमेरिकी हथियारों और सैन्य सामानों का व्यापार कर रहे हैं. इसमें से ज़्यादातर हथियार अफ़गान सेना के छोड़े हुए हैं.
यूएन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि यूएस स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल ऑफ अफ़ग़ानिस्तान रिकंस्ट्रक्शन (एसआईजीएआर) के पास हथियारों की संख्या जितनी दर्ज है, वह सभी स्रोतों से मिली जानकारी से कम है.
यूएन ने 2022 की रिपोर्ट में यह भी माना है कि वह इनका सही आंकड़ा एकत्रित करने में असमर्थ रहा.
पिछले कई सालों से अमेरिका के विभिन्न विभाग और संगठन अफ़ग़ानिस्तान को सैन्य साजो सामान की आपूर्ति कर रहे थे.
एसआईजीएआर ने अमेरिकी विदेश विभाग की आलोचना करते हुए कहा ” विदेश विभाग ने हमें छोड़े गए हथियारों और फ़ंड की सीमित और गलत जानकारी दी.”
हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग ने इससे इंकार किया है.